सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

HORROR STORY(RAKTASHNI)

  HORROR STORY ( RAKTASHNI )                                       
             
Horror story, horror story in hindi, kids story in hindi, kids story, moral storie , HORROR STORY(RAKTASHNI)
 Horror story image

                                            



हमने
 बोहत सी एसी कहाानिया सुुुनी होगी जीसका अस्तित्व आज भी हमारेे लिए एक सवार है। जिसका आज भी कोई उत्तर न हमारे पास न विज्ञान के पास है परन्तु धार्मिक पुस्तको मे इसका उल्लेख की गई है।


इसी बातो को ध्यान रखते हुए इस अनोखी कहानी को आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।


इस कहानी का सुरूवात राजपुत शासनकाल काल से होती है । उस समय राजा महेन्द्र प्रताप सिंह का शासन काल था। कहा जाता हैं महेन्द्र प्रताप सिंह बोहत दयालु ओर न्यायप्रिय राजा थे। राजा  ने एक सुंदर राजकुमारी से शादी की परन्तु शादी को बोहद दिन बीत जाने के बाद भी उनको कोई पुत्र प्राप्ति नही होती है। राजा अपने पुत्रप्राप्ति हेतु अपने राजगुरू के परामर्श पर अपनी कुल देवी की पुजा करने का निर्णय करते है। पूजा के कुश दिनो बाद राजा को एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति होती है।राजकुमार को पाने की खुशी में राज्य में चारोतरफ खुशिया शा गयी। राजा ने राजगुरु को राजकुमार की कुंडली बनाने का आग्रह की। राजगुरू ने राजा के प्रस्ताव को मान लिए। कुश दिनों वाद राजगुरु राजा के समीप राजकुमार की कुंडली रेकर प्रस्तुत हुए। राजा और रानी ने राजकुमार की कुंडली देख बोहोत प्रशन हुए। राजगुरु ने कहा राजकुमार एक महान योद्धा होंगे परन्तु ,यह शब्द कहकर राजगुरु चुप हो गए। राजगुरु की परन्तु शब्द सुनकर राजा और रानी चिंतीत हो गए। राजा ने राजगुरु की परन्तु शब्द कहने का कारण जानना चाहा। राजगुरु ने कहा राजकुमार पर प्रेतदोस का शाया है।राजा यह बात सुनकर चिंतीत हो गए । उन्होने इसका उपाए पुशा तो राजगुरु ने कहा इसका एक ही उपाय है अगर राजकुमार शादी न करे तो शायद इस दौस का अंत हो सकता है।रानी काफी देर तक सोचने के बाद राजा से कहा अगर राजकुमार की शादी नहीं होती है तो उनका बंश आगे केसे वरेगा। राजा ने राजगुरु से कहा क्या इसका कोई उपाय नहीं है ? राजगुरु ने कहा कि जव राजकुमार पच्चीस वर्ष के हो जाएंगे तो इस प्रेतदोस का भी अंत उसी बर्ष समाप्त हो जाएगा रेकिन राजकुमार का शादी इन पच्चीस बर्ष में होती है तो इसका परिणाम पूरे राज्य को चुकाना होगा यह कहकर राजगुरु चरे गए। राजकुमार समय के साथ बड़े हो गए।उस दौरान वह बिश बर्श के नौजवान युवक थे। राजकुमार को शिकार खेलने का शोक था इसलिए वह हमेसा शिकार खेलने के लिए बोहोत दुर जंगर में चले जाते थे । एकदिन शिकार खेलते खेलते वह काफी घने जंगल में चले जाते है। कुश दुर जाने के बाद उन्हें ऐसा लगता है कि वह रास्ता भटक गए है तथा उनको प्यास भी जोरो से लगी थी। उन्होंने कुश दुर ओर जाने का फेसला किया कि क्या जाने उन्हें कोई राही उन्हें पानी पीला दे। रास्ते में उन्हें एक बृद्ध इंसान दिखा जो लकड़ी लेकर जा रहा था। राजकुमार को लगा शायद उनके पास पानी हो सकता है क्योंकि उसे काफी दुर तक यात्रा करने के कारण काफी थक गए थे ओर प्यास भी लगी थी । उन्होने बूढ़ा इंसान को अपना परिचय देते हुए पुसा क्या तुम्हारे पास पानी है?उस इंसान ने जवाब दिया जी नहीं । राजकुमार  ने उदास होकर आगे जाने का निर्णय किया जैसे ही वह आगे जाने के लिए घोड़े का लगाम खींचे तभी उस इंसान ने कहा राजकुमार क्या आपको पता नहीं यहा से कुश दुर के बाद जो वन दिखाई दे रहा है वह शैतानी ताकतों का गड़ है । उस जगह पर जाना अर्धात मौत को निमंत्रण देने का समान है । राजकुमार एक योद्धा थे अतः उन्होने इस बात पर ध्यान न देते हुए वन में प्रवेश कर गए। रात भी होने वाली थी इसलिए उन्हें रात बिताने के लिए उन्हें एक उचित जगह चाहिए था। वह जंगल में उधर -इधर घूमने लगे इस आसा में कि उन्हें रात बिताने के लिए उचित स्थान मिल जाए । बोहोत देर इथर उथर भटकने के बाद उन्हें एक कुटिया दिखाई दी । कुटिया में वह प्रबेस किए परन्तु वाहा कोई नहीं था । राजकुमार काफी निराश हुए ओर रात बिताने के लिए उसी कुटिया में एक अस्थान पर वेठ गए। थकने के कारण उनकी नीन लग गए। कुश समय बाद कुस आवाज के कारण उनकी आखे खुली तो देखा एक सुंदर युवती उनके सामने खरी थी। राजकुमार उसकी  सुंदरता पर को देख उसपर मोहित हो गए। राजकुमार ने अपना परिचय को देते हुए कहा तुम अकेले इस बन में क्या कर रही हो तब उस युवती ने जवाब देती है वह एक ग्रामीण है उसने यह भी कहा कि उसके गाव में डाकुओं ने हमला कर सबको बुरी तरिक से मार कर सारे गाव में आग लगा दी है इसलिए उनसे बचने के लिए में इस जंगल में आ गई थी। यह सुनकर राजकुमार को उस युवती पर दया आई । राजकुमार ने उस युवती के पास सादी का प्रस्ताव रखा। युवती ने राजकुमार के पास शादी के लिए कुश शर्त रखी कि वह उसे कोई भी कार्य से न रोके। राजकुमार को यह बात बोहोत साधारण लगी ओर उन्होंने इस शर्त स्वीकार कर लिया परन्तु उसने यह भी शर्त रखी कि उससे इसी जंगल में सादी करे। यह बात राजकुमार को अजीब लगी जब राजकुमार ने यहा सादी करने का कारण जानना चाहा तो उसने कहा यही जंगल मेरा परिवार है जब मेरा परिवार मुझसे शीन लिया गया तो यही जंगल मुझे सहारा दिया है । राजकुमार ने इस बातको मान लिया तथा उससे शादी भी कि ओर उसके साथ राजमहर लोट आया । राजमहल में आकर राजकुमार ने सारी बाते अपने पिता को बता दी तब राजा ने बोला तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह कहकर राजा वाहा से चले गए । सादी की कुस महीने शान्ति पूर्वक बीत गए । सब कोई राजगुरु की बाते भुल गई पर कहते नही कुस परो का शान्ति तबाही आने का ईसरा करती है थीक वैसे ही हुआ कुस महीने बाद राज्य में कुस अजीब गरीब घटना घटने लगी। राज्य से निवाशी अनजान तरीके से गायब होने लगे। जब राजा को यह बात का पता चला तो उसने इस बात को गुप्त तरीके से पता लगाने के लिए हुक्म दिया। राज्य के सारे गुप्तचर इस बात को पता लगाने के लिए लग गए परन्तु कोई भी जानकारी गुप्तचरों को नहीं चला वेलोग उदास होकर राजा के सामने आए ओर सारी बात बताई राजा यह सुनकर बरे उदास हुए ।ईधर रानी को रोज रात को बाहर जात देख राजकुमार को बरा अजीब रगता था पर राजकुमार अपने वादे से भी बंधा था इसलिए यह बात उससे पुस भी नही सकता था इसलिए उसने सारी बातों को राजा को बता दी। राजा ने तुरन्त अपने गुप्तचर को राजकुमार की पत्नी पर नजर रखने के आदेश दिया । गुप्तचर ने राजकुमार की पत्नी पर नजर रखना शुरू किए ।कुस दिनों के बाद गुप्तचरों ने राजा को सारी बात बताता  है कि राजकुमार की पत्नी हर रात तांत्रिक क्रिया करती है उसके अलावा वह नर बरी भी देती है। नर बरी में इस्तमाल होने वाले नर ओर कोई नहीं राज्यो की निर्दोष प्रजा है ।नर बलि देने के बाद उनकी खून से अपनी प्यास बुझाती है । वह एक प्रकार की पेचाशनी है। राजा घबराकर राजगुरु के पास गए ओर उनको सारी बात बता दी । राजगुरु ने अपनी दिब्यादृष्टी से सारी घटना देखे बोले राजकुमार ने कोई इन्सान से नहीं वण की रक्त पिचाशनि रक्तताशनी से सादी कर उसे उस तपस्वी के बंधन से आजाद कर दिया है जिसका परिणाम केवल राजकुमार को ही नहीं पूरी राज्य को अपनी जान देकर चुकाना परेगा। रक्ताशनी कोई साधारण रक्तपिचाशनी नहीं है व एक रक्ताशनी है वह शैतान की आदेश पर धरती पर आई थी पूरी इंसान जाती को मिटा देने के लिए ।एक दिन व काफी देर से रक्त पान न करने के कारण उसकी पिपासा उसे बारदाश न हो सकि इसलिए उसने एक तपस्वी पर हमला कर उस मार दिया पर मरते मरते उस तपस्वी ने उसे अपनी तपरबल से एक वण में बांध दिया परन्तु तुम्हारे पुत्र ने उससे शादी कर उसे उस बंधन से आजाद कर दिया। राजा ने राजगुरु से निवेदन किया क्या इसका कोई उपाय नहीं है तब राजगुरु ने कहा हा है परन्तु यह आसान नहीं । राजा ने कहा वह अपने पुत्र और अपने राज्य को बचाने के लिए कुस वी करेंगे तो राजगुरु ने कहा ठीक है तो तुम राजकुमार को लेकर उसी वण की पूर्व दिशा में जाओ वाहा तुम्हे एक तांत्रिक मिलेगा जो तुम्हे उस तपस्वी के सिमाओ में ले जाएगा। वह पिचाशनी उस सीमाओं में प्रवेश नहीं कर सकती क्युकी उस तपस्वी के तप के कारण वह अस्थान पबित्र है इसलिए वहां पवित्र आत्मा का निवासी है अतः उस अस्थान पर बुरि सक्ती प्रवेश नही कर सकती। अगर हम किसी तरीके से राजकुमार को उस अस्थान पर ले जा सके तो हम राजकुमार को बचा सकते तथा पिचाशनी को मार भी सकते  है क्युकी तांत्रिक क्रिया के अनुसार अगर वह राजकुमार की बली आज रात न दे पाई तो कल की सूरज की पहेली किरण के साथ वह जलकर खाक हो जाए गी ।राजा ने तुरन्त अपने राजकुमार को सारी बात बताकर वन की पूर्व दिशा में गए परन्तु रास्ते में उन्हें कुस अजीव महसूस हुआ । हवा में कुस अजीव गंध मिल गई थी। कुश अजीव गरीब आवाज कानों में आ रही थी तब ही राजा की आखों ने एक युवती को देखा। वह युवती कुस असाधारण प्रतीत हो रही थी।उसकी लम्बे लंबे नाखून से खून टपक रहे थे। राजा ने समीप जाकर देखा तो वह ओर कुई नहीं वह रक्ताशनी थी। रक्ताशनी ने अपनी लम्बे नाखुन से राजा पर प्रहार की। प्रहार के कारण राजा का सीना पूरी तरीके से कट गया । राजा खून से लतपत हो गए ओर उनकी अकाल मेत्यु हुई। पीचशनी राजकुमार के समीप आई ओर बोली आप मुझे त्याग कर आप कहा जा रहे है मेरे पतिपरमेस्वर यह कहकर वह जोरो से हसने लगी ।उसकी हसी से मानो एसा लगा कि सेतान कब से जिन्दा होने की खुशी से हस रहा है । जैसी है वह राजकुमार पर बार करनी चाही तब ही राजगुरू ने अपनी तपोबर से उसपर बार की जिसके कारण पिचाशनी दुर जाकर गीर गई तभी राजगुरु ने उसे वहा से जाने के लिए कहा ओर यह भी कहा कि में उस जादा देर तक रोक पाने में सक्षम नहीं हु तो तुम जितने तेज पूर्व दिशा में जा सकते हो जाओ । राजकुमार ने राजगुरू की बात मानते हुए वहा से चले गए। राजगुरू और उस पिचाशनी के बीच युद्ध हुआ परन्तु उसे रोक पाना राजगुरू के लिए संभव नहीं था इसलिए उनकी पराजय हुई ओर वह मारे गए । पिचाशनी अपनी पुरी सक्ती के साथ राजकुमार की दिशा में गई ओर राजकुमार के समीप खरी हुई। राजकुमार को देख पिचाशनी ने कहा आज तुम्हारी बली सेतान के समीप देकर मै हमेशा के लिए अमर हो जाऊंगी। यह कहकर उसने राजकुमार पर वार किया जिस कारण वह दुर जाकर गीरे तभी उनकी आंखे एक तांत्रिक पर परी उस तांत्रिक ने अपने मंत्रो से उस पिचाशनी को कुस समय के लिए वही पर बांध दिया ओर राजकुमार को लेकर उस पुण्य अस्थान पर प्रवेश किए। पिचाशनी भी उस बंधन से आजाद हुई ओर उस पुनःअस्थान में प्रवेश करना चाहा परन्तु एक बिजली के जटके ने उसे दुर जा फेका। सुबह भी हो गई परन्तु राजकुमार की बली न दे सकी अतः तांत्रिक क्रिया के अनुसार सूर्य के पेहेरी किरण ने उसे जला दिया। एसे खत्म होती है रक्त पिचाशनी रक्ताशनी की कहानी।
प्रकृति की गोद में अभी भी कुस चाही अनचाही कहानी सीपी है जो आज भी मानव के लिए अनजान है सायद यह अंजान ही रहे तो मानव के लिए हितकारी है।
                     -------------------×××××××××-------------------



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

FUNNY JOKES

FUNNY JOKES HUSBAND AND WIFE  :- FUNNY JOKES (HUSBAND and WIFE) FUNNY JOKES 🆕🔜 पत्नी पति से प्यार कहती है  :- जानूूू , आज कौन सा दिन है ?                           पति  :- आज हमारा शादी का सालगिरह है।                          पत्नी  :- मेरे प्यारे जानू  को आज का दिन याद है।                       पत्नी :- मेरा जानु को आज का दिन याद है।                         पति :- आज का दिन कैसे भूल सकता हूं अरे                                      अरे चुड़ैल मेरी जीवन में आज ही तो                                         आई थी।           😁😁😁😝🤗😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁 🆕➡️                     पति  :- भगवान का पूजा कर रहा था।                    पत्नी  :- जानू , तुम भगवान से रोज क्या                                                          प्रार्थना करते हो।                    पति  :- अपनी जीवन की सबसे बड़ी गलती                                                     की माफी मांगता हूं।                    पत्नी  :- कैसी गलती।                    पति  :-  अरे

INDIA INDEPENDENCE DAY

15 AUGUST, 2020 INDEPENDENCE DAY OF INDIA independence day of india 2020 I NDEPENDENCE DAY  2020  : August 15 is a very important day for Indian democracy and every Indian.   It is the day when India got independence from the atrocities of British rule. This  is the reason that Indians celebrate their happiness by celebrating Independence Day with great fanfare on 15 August every year  .  India is the largest democracy country. Indians are proud that they are true citizens of this country On this day, India was liberated from the atrocities of British rule and India became an independent country. This is the reason that Independence Day is celebrated on 15 August every year . On August 15, 1947, every Indian knows that this year we got freedom, by the sacrifice of our freedom fighter, but it was not easy. For this, the hero of our country made many sacrifices and had to struggle for a long time.  Today, it was not as easy as we thought because the enemies we were battling with

BHADRAPADA AMABASYA IMPORTANCET

BHADRAPADA AMABASYA IMPORTANCEBHADRAPADA AMABASYA IMPORTANCE :- भाद्रपद अमवस्या क्या है और उसकी कुछ जानकारी। BHADRAPADA AMABASYA PHOTO LISTEN CONTENT IN HINDI  हम लोग का जिज्ञासा है :- (1) क्या है अमवस्या ? इसके बारे में क्या कहता है हिंदू धर्म ? (2) भाद्रपद अमवस्या किसे कहते हैं ? (3) इस अमवासा के ऊपर शास्त्र में क्या ऊल्लेख है ? (4) क्या यह दिन हमारे लिए हानिकारक है या नहीं ? इस तरह कई सारे प्रश्न मन में उठ रहे होंगे। कृप्या जानने के लिए आगे पढ़ें  :- जानने से पहले आपको जानना होगा कि अमवस्या होता  क्या है   ? :- हिन्दू पचांग के अनुसार यह वह  तिथि होती है, जिस समय पर चंद्रमा लुप्त हो जाता है और रात को घना अंधेकार छाया रहता है। इस मास को दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है, शुरुआती दौर में चंद्रमा बढ़ता रहता है और अपना एक पूर्ण आकार धारण करता है, जिससे हम पूर्णिमा कहते हैं। उस रात की पश्चात चांद घटना आरंभ करता हैं। भाद्रपद अमवस्या क्या है  ? :- भाद्रपद  अमवस्या  भाद्रपद  मास के कृष्ण पक्ष की अमवस्या को कहते हैं। इस अमवस्या को कई भारतीय दूसरे नामों से भी पहचानते है