परशुराम जयंती के वीषय में :-
Parshuram jayanti photo |
परशुराम जयंती भगवान परशुराम का जन्मोत्सव का दिन है। कहा जाता है की परशुराम जी जगत के पालनहार भगवान विष्णुजी के छठे अवतार हैं।
परशुराम जी जयंती की पूजा का समय: -
तृतीया तिथि का आरम्भ - 14/04/2021 (05:38 A.M)
तृतीया तिथि का समापन: - 15/04/2021 (07:59 A.M)
कुछ पौराणिक कथा: -
क्योंक्षत्रिय वंश के विनाश हेतु परशुराम जी ने की अखंड प्रतीज्ञा ?
जानने के लिए आगे पढ़ें : -
Parshuram jayanti importance and date with times |
राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड में निर्बल ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार करता था। एक दिन राजा सहस्त्रार्जुन अपनी सेना सहित भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्रि मुनि के आश्रम में पहुंच गए। जमदग्रि मुनि ने राजा और उनकी सेना का स्वागत बड़े प्रेम से किया और साथ ही उनके खाने-पीने का प्रबंधन अपनी आश्रम में किया। मुनि ने माता कामधेनु गाय के दूध से सभी सैनिकों को पेट भरकर भोजन करवाये। माता कामधेनु गाय के चमत्कार से प्रभावित होकर राजा ने मुनि से कामधेनु गाय को जबरदस्ती छीन लिया। जमदग्रि मुनि इस अन्याय का विरोध किया । अंत में अन्यायी राजा ने मुनि की अत्या करदी।
जब यह बात भगवान परशुराम को पता चली तो उन्होंने क्रोध में आकर सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया। भगवान परशुराम ने यह अखंड प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंश का विनाश कर देंगे। परीनामसरूप 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों वंश विनाश कर अपनी अखंड प्रतिज्ञा पुरी किए।
क्यों संसार में गोरीनंदन भगवान गणपति जी एकदंत के नाम से जाने जाते है ?
भगवान परशुराम क्रोधित पकृति के मुनि थे। यह भी कहना गलत होगा की वह क्रोधित पकृति के मुनी थे क्योंकि हमने कुछ ओर भी पौराणिक कथाओं को सुना हैै, जो उनकी दयालु और करुणा से भरी सागर जैसी विशाल हृदय को उल्लेख करता है।
एकबार जब परशुराम अपने गुरु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पहुंचे, तो गणपति जी ने उन्हें भगवान शिव और माता पार्बती से मिलने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि यह शिवआज्ञा थी की कोई भी पथिक भगवान शिव और माता पारबती की एकांतवास भंग न करे। परशुराम जी को एसा रगा की शिवपुत्र उनकी अपमान कर रहे है । परशुराम जी क्रोधित होकर अपनी फरसे से पार्वती नन्दन गणेश जी का एक दाँत तोड़ डाला। उसी दिन से भगवान गणेश एकदंत नाम से भी संसार में जाने जाते है।
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