इस कहानी में लेखक दो सच्चे प्रेम करने वाले के विषय में उल्लेख करते हैं। लेखक कहते हैं की शायद मै सच्चे प्रेम करने वालों की भावना को आपके सामने प्रस्तुत न कर पाओ। इसके दो कारण हो सकते हैं :-
पहली :- इस कहानी को आपके सामने सही तरीके से प्रस्तुत करने में असफल रहा।
दूसरी :-शायद इन भावना को महसूस किया जा सकता है। यह उन्हीं लोग के लिए संभव है, जिसने सच्चा प्यार किया होगा ।
जिसका दिल पवित्र हो, जिसने प्यार को समझा हो।
यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में कुछ अलौकिक शक्तियों के विषय में भी उल्लेख किया गया है।
यह एक इच्छाधारी नागिन की प्रेम कहानी है। भारत के एक छोटे राज्य के किसी गांव से यह कहानी शुरू होती है। शिवरात्रि नाग और नागिन के जोड़े के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गांव के लोगों ने शिवरात्रि में शिव पूजा का आयोजन किया था। इस आयोजन में नागराजा और नागरानी मनुष्य रूप में उपस्थित थे। आयोजन धूमधाम से चल ही रहा था, कि नागराज से गलती से नागमणी वही गीर गई। उस नागमणी पर शहर से आए एक व्यक्ति की नजर पड़ी। उसने नागमणी को उठाकर नागराज को पुकारने लगा, नागराज उसकी बातों को सुन नहीं पाए और वह वहां से चले गए ।
दूसरे दिन रात को वह व्यक्ति उस आयोजन पर उपस्थित था। उसने नागराज को देखा और कहा आपका यह चीज गलती से यहां पर गिर गया था मैंने इसे देखा और आप को पुकारा परंतु आपने कोई उत्तर नहीं दिया और चले गए। नागराज रास्ते नागमणि लेते हुए कहा कि यह एक मूल्यवान पत्थर भी हो सकता है आपने इसे क्यों लौटाया। उस व्यक्ति ने कहा यह मेरे मां के दिए हुए संस्कार है। भगवान का दिया हुआ मेरा सब कुछ है। मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। मेरा मानना है कि दूसरे कि बस्तू बिना पुछे नहीं लेनी चाहिए। नागराज ने कहा कि तुम एक अच्छे इंसान हो। यह कहकर उस इंसान से उन्होंने विदा ली और वह वहां से चले गए।
दूसरे दिन नागराज और नागरानी शिवजी की पूजा करने के लिए शिवजी कि मंदिर गए हुए थे। सुरक्षा की दृष्टि से अपनी नागमणी को अपनी गुफा में रखे थे और उस मणि के रक्षा का भार उनकी बेटी नगीना की थी। नागराजा नागरानी के कुछ समय जाने के बाद वहां पर एक नकाबपोश इंसान वहां पर आया और उसने नागमणि को चुरा लिया नगीना ने बहुत कोशिश की उसे रोकने के लिए परंतु उस इंसान के पास एक ताबीज थी जो उसके तांत्रिक गुरु ने दिया था। उस तांत्रिक क्रिया से बने ताबीज के कारण उस इंसान को रोक पाने में नगीना असफल होती है। उस इंसान ने नगीना पर बार करता है जिस कारण नगीना कुछ दूर जाकर पत्थर से टकराती है और वहीं पर बेहोश हो जाती है। वह इन्सान मणि को लेकर जैसे गुफा से बाहर जाने की कोशिश करता है तभी वहां पर नागराज आकर उपस्थित हो जाते हैं। नागराज उस इन्सान से कहते है। यह मणि नागलोक का अमानत है तुम इसे चुरा नहीं सकते। इसे मुझे वापस कर दो मैं तुम्हें माफ कर दूंगा। इन्सान जवाब देता है अब यह मणि मेरी है इसे तो मैं किसी को नहीं दूंगा। इसे पाने के लिए मैं किसी की भी जान ले सकता हूं। नागराज ने कहा तुम्हारी मुर्खता पर हसी आ रही है, अगर तुम्हें यमराज के पास जाने की इतनी जल्दी है तो ठीक है। मै तुम्हारी इच्छा पूर्ण कर देता हूं। नागराज अपने नाग रूप धारण करते हैं और उस इन्सान पर झपते है और उसे डस रेते है परन्तु उस इन्सान पर उनका विश का असर नहीं होता है। वह इन्सान कहता है कि तुम्हारे विश का असर मुझ पर नहीं होगा। नागराज ने कहा मेरा विश का असर तुमपर नहीं होगा परंतु मै तुम्हें इस पवित्र मणि को रे जाने नहीं दूंगा तब इन्सान
और नागराज के बीच जोरों का द्वधं हुआ अंत में नागराज ने नागमणि को लेकर वहां से भाग खड़े हुए। उस इन्सान ने भी उसका पीछा किया परंतु उसने नागराज से नागमणि लेने में असफल रहा।
नागराज जख्मी हालत में कुछ दूर तक गए। उन्हें रास्ते में उन्हें सच्चा वही इन्सान दोबारा मिला जो उनकी मणि को वापस किया था। उसने उस इन्सान को देख कर बहुत खुश हुए।नागराज उस इन्सान के पास गए। नागराज को एसी हालत में देख कर वह इन्सान चिंतित हो गया। उसने उनसे कहा आप तो जख्मी है, आपको मैं अस्पताल लेकर जा रहा हूं। आप मेरे साथ चलिए तब नागराज ने कहा सुनो भाई मेरे पास इतना समय नहीं है। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं। मैं कोई इन्सान नहीं एक नागराज हूं। यह जो मेरे हाथों में यह कोई मामुरी पत्थर नहीं यह नागमणि है। कोई इन्सान घबरा जाता है तब नागराज कहते है।घबराओ मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा सिर्फ मै तुमसे एक जिम्मेवारी देना चाहता हूं कि तुम इस नागमणि को सुरक्षित रखोगे समय आने पर तुमसे यह नागमणि सही हकदार तुमसे ले लेगा। तुम इस नागमणि को पूर्णिमा की रात को खुले आसमान में रखना। इस पर चांद की रोशनी पढ़ने से इस नागमणि की शक्ति और दुगनी हो जाती है। यह कहकर नागराज की मृत्यु हो गई। तभी वहां पर नागरानी पहुंचती है।नागरानी ने देखा नागराज की मृत्य देह उस इन्सान के हाथों में था और नागमणि भी। उन्होंने समझा कि इस इन्सान ने नागमणि की लालच में नागराज को मार दिया है। उन्होंने निश्चित किया की उसी रात को वह उन हत्यारो से बदला लेंगी। उन्होंने एक गांव की सुंदर ओरत का रूप धारण करती है और वहां पर आती है। सब लोग समझते हैं कि वह एक पास की गांव की निवासी है जो बोहत रात हो जाने के लिए इस स्थान पर आई हुई है। उसको रहने के लिए वहां पर जगह देते हैं। मोका पाकर उन्होंने उन पांच इन्सान में से एक को डसने की कोशिश की परंतु वह कामयाब नहीं हो सकी। उन पाच इंसानों को उनकी असलियत का पता चर गया। उन्मेसे एक इंसान रुद्रा ने उन्पर गोली चला दी जिससे नाग रानी जख्मी हो गई। रुद्रा जैसे ही उन्हें मारने वाला था तभी प्रताप ने उसे रोक दिया और कहा नागराज की मृत्यु मुझसे अनजाने से हो गई पर अगर हम इन्हें मारेंगे तो यह पाप होगा। हम अपने मा के संस्कार नहीं भुल सकते रुद्रा। नागरानी मौके का फायदा उठाकर कमरे की खिड़की से वह बाहर निकल जाती है। जाते-जाते नागरानी कहती है, नागिन अपना बदला कभी नहीं भूलती याद रखना। नागरानी अपनी बेटी नगीना के पास पहुंचती है घायल अवस्था में। अपनी मां को घायल अवस्था में देखकर नगीना बहुत चिंतित होती है वह कहती है कि मां आपको क्या हो गया है तो उसकी मां ने कहा कि बेटी अब मेरी अंतिम समय आ गया है पर मरते मरते तुम्हें मुझसे वादा करना होगा कि तुम अपने पिता का मौत का बदला लोगी। यही मेरी अंतिम इच्छा है। बेटी अपनी मां से वादा करती है कि मैं अपने पिता का बदला लूंगी पर मां आप मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाओगी। नागरानी कहती है बेटी मैं तुमको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी मैं हमेशा तुम्हारे दिल में तुम्हारे पास ही रहूंगी। यह कहकर नागरानी की मृत्यु हो जाती है। नगीना अपनी मां की आंखों में उनके कातिलो की छवि देखती है।
कई साल बीत जाते है, नगीना शिवजी की कठोर तपस्या कर अलौकिक शक्तियां प्राप्त करती है। वह अब पूरी तरह से तैयार थी अपने कातिलों से बदला लेने के लिए।
कातिलों की तलाश करने के लिए वह शहर की तरफ जाती है।
शहर में उसने सबसे से पूछताछ करती है उन कातिलों के बारे में पर अफसोस उनके बारे में किसी को पता नहीं था । शहर में रहने के लिए और अपने माता पिता के कातिलों को ढूंढने के लिए उसे किसी ठिकाने की जरूरत था। इसी चिंता में वह सड़क से जा रहे थे तभी अचानक एक चलती हुई गाड़ी अचानक एक पेड़ से टकराई। वाहन तेज होने के वजह से वाहन चालक बहुत ज्यादा ही घायल हो गया था। नगीना ने शीघ्र ही उस वाहन चालक को अस्पताल लेकर गई। सही समय पर अस्पताल में भर्ती होने के कारण उस इंसान का जीवन बच गया, उसने नगीना से पूछा कि तुम ने मुझे क्यों बचाया ?तो उसने जवाब दी इंसानियत की वजह से, उन्होंने बोला कि तुम क्या करती हो ? तो उसने जवाब दिया कि वह गांव से आई है नौकरी की तलाश में। वाहन चालक एक बिश्रमालय का प्रबंधक था। उसने कहा क्या तुम मेरे साथ काम करना चाहोगी ? नगीना थोड़ी देर सोचती है कि इन्सानो की बनाई हुई समाज में रहने के लिए उसे भी इन्सानो जैसा ही बर्ताव करना होगा। उसने उसे जवाब दिया कि वह तैयार है। अब नगीना को भी एक ठिकाना मिल गया था इन्सानी लोक में रहने के लिए। कई दिन एसे ही बीत जाते हैं। कहते नहीं भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं। वह कामयाब होती है अपने माता पिता के कातिलों को ढूंढने में । अब वह उन लोगों को डसने का उपाय खोजती है। कुस दिनों में उसने कभी नागिन रूप में तो कभी अपने इन्सानी रूप में उनलोगो को डस लेती है। अभी तक उसने तीन लोगों को ही मारने में कामयाब हो पाती है। अब बचे थे दो, नगीना उनके ठिकानों अर्थात उनके घर का पता लगा लेती है। एक रात नगीना नागिन रूप में उसने उस भवन में प्रवेश करना चाहा परंतु को प्रवेश करने में असफल होती है क्योंकि उस घर के चारों तरफ एक सुरक्षा कवच लगा हुआ था । जिसे तोड़ना नामुमकिन था। उस सुरक्षा कवच के कारण वही लोग उस भवन में प्रवेश कर सकते हैं जो उन परिवार के सदस्य हैं। यह सुरक्षा कवच उस भवन में रहने वाले सदस्यों का एक प्रकार का रक्षा कवच था। अतः नगीना चाह कर भी उन सदस्यो में से किसी को भी तबतक नहीं मार सकती। नगीना अपने गुरुदेव के पास जाकर सारी बात बताती है और उनसे पूछती है क्या इस कवच का कोई तो तोड़ है ? नागगुरु ने कहा हा है पर क्या तुम उस काम को कर सकती हो ? नगीना ने कहा मै अपनी मा की अंतिम इशा को पूर्ण करने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। नागगुरु ने कहा तो सुनो तुम उस परिवार के सदस्य नहीं थी इसलिए तुम उस भवन में प्रवेश नहीं कर पाई। अगर तुम उस परिवार के किसी सदस्य से शादी कर लो तो तुम उस परिवार कि बहु बन जाओगी। उस घर के सदस्य होने के कारण तुम भी भवन में प्रवेश कर पाओगी। नगीना कहती है, आप क्या कह रहे है गुरुदेव ? उन भवन के लोगों ने मेरे माता-पिता को निर्मम तरीके से हत्या की है। उनलोगो के हाथ मेरे माता पिता के खून से लंगे है। मेरा लक्ष्य है, उन्हें खत्म करना न कि उनकी बहु बनना। गुरुदेव कहते हैं कि तुम्हें उस परिवार की बहू बनना हमारे आराध्य प्रभु महादेव की ही इच्छा है, मैंने अपनी शक्तियों से यह पता लगा लिया है कि नागमणी उसी भवन में है। अतः तुम नागराजा और नागरानी की पुत्री होने कारण तुम्हें यह कर्तव्य है कि नागमणि को दोबारा नागलोक में स्थापित करो। नगीना महादेव की मूर्ति की तरफ देख कर कहती है कि आप मेरी कैसी परीक्षा ले रहे हैं ? अगर आपकी यही इच्छा है तो मैं उस परिवार की बहू बनूंगी और नागमणी को वापस अवश्य लाऊंगी। यह कहकर महादेव की मूर्ति को नमस्कार कर नगीना वहां से चली जाती है।
यहां से सुरु होती है, कैसे नगीना अपनी माता-पिता के कातिलों से बदला लेने के लिए उसे एक सच्चे इंसान से शादी करती है।
क्या नगीना उस इंसान से प्यार करेगी या नहीं ? जाने के लिए आगे पढ़े :-
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इन्हीं बातों को ध्यान रखते हुए इस कहानी को आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।
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