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प्रताप का एक पुत्र था। जिसका नाम था सत्या। सत्या अपने माता-पिता के अच्छे संस्कार के कारण अपने नाम के अनुसार ही सत्यवादी और अच्छा इंसान था। वह अपने परिश्रम से अपने पिता के कारोवार को बुलंदी पर ले गया था। एक दिन सत्या को अपने कार्यालय से लौटने में देरी हो गई। उस दौरान भारी बारिश हो रही थी। सत्या अपने वाहन में लौट रहा था, तभी अचानक उसे एक दृश्य दिखाई दिया। उसने देखा कि एक लड़की एक औरत को पकड़ कर रास्ते के किनारे खड़ी थी। सत्या का वाहन वहीं से गुजर रहा था तभी उस लड़की ने सत्या को गाड़ी रोकने के लिए इशारा किया। जैसे ही सत्या ने गाड़ी को रोका, उस लड़की ने वाहन के दरवाजे को खोलकर उस औरत को पीछे बैठा कर सत्या से कहती है कि गाड़ी को अस्पताल ले चलो।
सत्या कुछ कह पाता तभी उसकी नजर उस औरत पर पड़ती है जो घायल थी। सत्या ने उसे तुरंत सामने वाली हस्पताल में ले गया। चिकित्सक ने कहा कि आप लोगों को अस्पताल में रहना होगा कुस कानूनी कार्रवाई करने के लिए। वह दोनों उसी रात उस अस्पताल में रहना पड़ा। दूसरे दिन सुबह में वह दोनों उस औरत से विदा लेते हैं। उस लड़की ने सत्या को शुक्रिया कहती है, उस औरत की मदद करने के लिए। सत्या ने कहा यह मेरा फर्ज था। यह कहकर वे लोग वहां से चले गए। एसे कई बार कभी इत्तेफाक से तो कभी किसी कारण से वे लोग एक दूसरे से मिलने लगे। सत्या को उस लड़की से गहरी दोस्ती हो गई। कुछ दिन एसे ही बीत जाते हैं। कैसे यह दोस्ती प्यार में परिवर्तित हो गया सत्या को मालूम ही नहीं चला ? परंतु कुछ दिनों से सत्या ने उस लड़की से नहीं मिली। सत्या व्याकुल हो गया। सत्या ने उस लड़की को वह सारे स्थान पर खोजा जहां पर वह उस लड़की से पहले मिल चुका था। पर वह उसे खोजने में असफल हुआ। सत्या काफी उदास रहने लगा। एक दिन कार्यालय से लौटने के समय सत्या ने उस लड़की को सड़क के किनारे खड़ा हुआ पाया। सत्या अपने वाहन से निकल कर उस लड़की के पास गया और उसे गले लगा लिया और उससे कहा कि वह उससे बहुत प्यार करता है। लड़की ने जवाब दिया कि आपको मेरी परिवार से बात करना होगा। सत्या ने लड़की के साथ उसके परिवार के पास गया और उसके परिवार से उनकी बेटी का हाथ मांगा। उस लड़की के परिवार वाले कहते हैं कि आप अपने माता-पिता को हमारे पास ले आइए हम उनसे ही इस रिश्ते की बात करेंगे। सत्या ने अपने माता पिता को दूसरे दिन उस लड़की के परिवार वाले से मिलाता है। दोनों परिवारों के सदस्यों ने आपसी सहमति से शादी करवाने का निर्णय लेते हैं। कुछ दिनों में उन दोनों की शादी हो जाती है और वह लड़की सत्या की पत्नी बनकर उनके परिवार साथ उनके भवन में प्रवेश करती है। जैसी ही वह लड़की उस भवन में प्रवेश करती है तभी उस भवन के चारों तरफ लगे हुए सुरक्षा कवच टूट जाता है। वह लड़की मुस्कुराती है और भवन में प्रवेश करती है।
यह क्या, वह लड़की मुस्कुराती है ? पर क्यों ? लेखक ने एसा क्यों कहा ? जाने के लिए आगे पढ़े ।
क्योंकि वह लड़की और कोई नहीं नागराज और नागरानी की पुत्री नगीना थी। नगीना को उस भवन में प्रवेश करने के लिए उस भवन के किसी एक सदस्य से शादी करनी थी इसलिए उसने सत्या से शादी की। उस रात उस औरत को अस्पताल ले जाना, तो कभी जाने अनजाने या किसी कारण से ही सत्या से मिलना यह सब नगीना की एक चाल थी।
अब नगीना का प्रतिशोध अंतिम चरण में था।
नगीना अपने माता-पिता के कातिल सत्या के पिता प्रताप को मानती थी। क्योंकि उसने अपने मरती मां की आंखों मे प्रताप की तस्वीर देखी थी। उस दौरान प्रताप के हाथों में उनके मरे हुए पिता के मृत्य शरीर था तथा नागमणि और कुल्हाड़ी भी थी। नागरानी को एसा लगा था कि प्रताप ने नागमणि के पाने के लालच में नागराज की हत्या की है। इसी गलतफ्रेमी का शिकार नगीना भी हुई क्योंकि उसने अपनी मां की आंखों में यह तस्वीर देखी थी।
नगीना और सत्या की शादी तो हो गई थी पर यह शादी सिर्फ नाम का था। सत्या जब भी अपना प्रेम का इजहार नगीना के पास करता तब उसके बदले में नगीना अपने कठोर व्यवहार से उसे दुखी कर देती। नगीना जितनी नफरत उसके पिता से करती थी उतनी ही नफरत वह सत्या से भी करती। क्योंकि वह मानती थी कि उसके माता-पिता के कातिल के पुत्र से वह कभी भी प्रेम नहीं करेगी।
नागगुरु के कहने के अनुसार नगीना ने काफी दिनों तक उस भवन में नागमणि को खोजा परंतु वह असफल रही। वहां उसे नागमणि का कोई भी सुराग नहीं मिला, जिससे वह नागमणि के तक पहुंच सके।
पूर्णिमा का दिन काफी नजदीक था। नगीना ने सोचा की नागमणि की शक्ति बढ़ाने के लिए प्रताप नागमणि को जरूर बाहर निकालेगा वही मौका होगा नागमणि उससे हासिल करने का। पूर्णिमा की रात को एसा ही हुआ प्रताप ने नागमणि की शक्ति को बढ़ाने के लिए उसे बाहर निकाला। नागमणि की तेज रोशनी के कारण नगीना को भी उस स्थान का पता चल गया। नगीना अपने नागिन रूप में उस स्थान पर पहुंचती है। नगीना जैसे ही अपने मनुष्य रूप में आती है। प्रताप नगीना को देख कर घबरा जाता है। नगीना अपनी शक्ति से नागमणि को प्रताप से छीन लेती है और कहती है तुमने क्या समझा ? तुम मेरे माता पिता को मारकर आसानी से बच जाओगे, नागिन अपनी बदला मरते दम तक कभी नहीं भूलती। आज तुम्हें अपने कर्मों का दंड भुगतना होगा। प्रताप ने कहा है तुम्हें कोई गलतफ्रेमी है। मैंने तुम्हारे माता-पिता को नहीं मारा। नगीना ने कहा कातिल अपनी मौत को सामने देख कर यही बोलता है। तुम्हें डसने के बाद मेरे माता-पिता की आत्मा को शांति मिलेगी। यह कहकर नगीना अपनी नागिन रूप लेती है। वह प्रताप को डस रेती है और वहां से चली जाती है। तेज विश के कारण उसी अस्थान पर प्रताप की मित्यु हो जाती है। दूसरे दिन जब सत्या अपने पिता के मृत्य शरीर देखता है तो मानो जैसे उसके शरीर से प्राण निकल गया हो। उसी स्थान पर वह फूट-फूट कर रोने लगा। नगीना नागमणि के साथ नागलोक में वापस आती है और नागलोक में दुबारा नागमणि को स्थापित करती है। नागगुरु ने नगीना से चाहा कि तुम्हें तुम्हारे माता-पिता के सारे हत्यारे को उनके कर्मों का दंड दे दिया है, अब तुम्हारे माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए एक पूजा करना होगा। इस पूजा सफल होते ही तुम्हारी माता पिता की आत्मा को मुक्ति मिल जाएगा। नाग गुरु ने पूजा आरंभ की परंतु पूजा के अंतिम क्षणों में हवन कुंड की आग बुझ गई। नागगुरु ने कहा यह बहुत बड़ा अबशकुन है। शायद तुम्हारे माता-पिता के कातिल अभी भी जिंदा है। लेकिन मैंने अपने सारे दुश्मनों को खत्म कर दिया है। हवन कुंड के आग अपने आप भुज जाना यही दर्शाता है कि तुम्हारे माता-पिता के कातिल अभी भी जिंदा है। नागगुरु ने अपनी शक्तियों से उस इंसान का पता लगाने की कोशिश की परंतु वह असफल रहे। नगीना नागगुरु से पूछती हैं क्या उस इंसान का पता लगाने का कोई उपाय नहीं ? नागगुरु ने उतर दिया उस इंसान की रक्षा कोई अदृश्य काली शक्ति कर रही हैं। अगर तुम्हें उस इंसान की तस्वीर देखना है तो शिवजी की एक लंबी साधना करनी होगी जिसके फलस्वरूप तुम्हें उस इंसान की तस्वीर दिखाई देगा। नगीना त्यार हो जाती है साधना के लिए।
प्यार तब्दील हुआ नफरत में। कहते नहीं सच्चे प्यार की राह इतनी आसान नहीं होती जितने हमलोग समझते है। ठीक इसी प्रकार इस कहानी में प्यार परिवर्तित हुआ नफरत मे।
क्या सत्या और नगीना एक दूसरे से प्रेम करेंगे ? क्या सत्या नगीना को माफ कर पाएगा ? जाने के लिए आगे पढ़े :-
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