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उस इन्सान को प्रताप की मौत का पता चला तो वह समझ गया कि उसका मौत कोई घटना नहीं उसकी हत्या हुआ है। वह इन्सान ने अपने तांत्रिक गुरुदेव से तुरंत जाकर इस बात पर चर्चा की। तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक बिध्या से यह पता लगा लिया कि प्रताप के मौत के पीछे कौन है ? तांत्रिक ने उस इन्सान से कहा कि प्रताप के मौत के पीछे और कोई नहीं नगीना का हाथ है। नगीना नागराजा और नागरानी की पुत्री है। वह इन्सान कहता है कि वह नागिन मुझे भी मार देगी गुरुदेव मेंरी रक्षा करें। गुरुदेव ने कहा चिंता मतकर। मैं जो कहता हूं सिर्फ तु वह कर बाकी मुजपर सोर दे। तांत्रिक ने कहा मुझे सत्या की जन्मकुंडली चाहिए। वह नागिन कोई मामूली नागिन नहीं थी। वह एक इच्छाधारी थी, साथ-साथ एक नागराजा और नागरानी की बेटी भी थी। एसी स्कतिशाली नागिन की जीवनसाथी मामूली तो नहीं होगा। कुस न तो कुछ उसमे बात जरूर होगा। मुझे उसके जन्म कुंडली चाहिए। तू मुझे उसकी जन्म कुंडली ला कर दे।
उस इन्सान ने सत्या की जन्मकुंडली को हासिल किया और उसे तांत्रिक के पास ले आया। तांत्रिक ने कुंडली को देखा और उसने बोला मेरा शक सही था। सत्या कोई मामूली इन्सान नहीं है। उसका जन्म एक विशिष्ट समय में हुआ है। विश्व में पाए जाने वाले एसे विशिष्ट लोग चाहे तो तपस्या के माध्यम से कम समय में अपने आप को इतने शक्तिशाली बना सकते हैं कि इस संसार में वास करने वाले कोई भी प्राणी इन्हें ना मार सकता है ना हरा सकता है। सत्या भी उन्हीं में से एक है। सत्या को अपना हथियार बनाकर उस नागिन को मार सकते हैं। उसने बोला सत्या उस नागिन से बोहत प्यार करता है। वह उसे कभी नहीं मारेगा। तांत्रिक ने कहा तुम उसे मेरे पास लाओ प्यार कब नफरत में बदल जाएगा किसी को पता भी नहीं चलेगा। उस इन्सान ने किसी बहाने से सत्या को उस तांत्रिक के पास लाने में कामयाब हो जाता है। सत्या ने उस इन्सान से बोलता है तुम मुझे किस स्थान पर रे आए हो। तभी अचानक एक आवाज सुनाई देती है तुम्हारे मंजिल के पास। सत्या इधर उधर देखता है पर कोई नहीं दिखाई देता। अचानक वहा पर प्रकट हो जाता है। सत्या डर जाता है, तांत्रिक ने कहा डरो मत मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं। तांत्रिक आपने शक्तियों से उस समय के दृश्य को प्रकट करता है जब उसके पिता को नगीना ने डस लिया था और तेज विश के कारण उसके पिता तड़प तड़प कर मर गए थे। तांत्रिक ने कहा तुम्हारे पिता उस नागिन से अपनी सुरक्षा हेतु मेरे पास एक दिन आए थे। वह इसी बात को ध्यान रखते हुए मैंने तुम्हारे भवन के चारों तरफ एक सुरक्षा कवच बनाया था जिसके कारण वह नागिन उस भवन में प्रवेश न कर पाती थी परंतु तुम्हारी शादी उस नागिन से होने के कारण सुरक्षा कवच टूट गया। तुम्हारे पिता का मौत का कारण वह नागिन नहीं तुम खुद हो। सत्या रोने लगा उसने कहा :- नगीना तुमने एसा क्यों किया ? मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया था ? तांत्रिक ने कहा तुम्हे अपने पिता के मोत बदला लेना चाहिए। सत्या क्रोध में कहां नगीना ने मेरा प्रेम देखा है मेरी नफरत नहीं। उसने तांत्रिक से पूछा मुझे अपने बदला लेने के लिए मुझे क्या करना होगा ? तांत्रिक ने कहा तपस्या कठोर तपस्या जिसके परिणास्वरूप तुम्हें अलौकिक शक्तियां प्राप्त होगी जिसे तुम बहुत शक्तिशाली बन जाओगे। उसके बाद ब्रह्मांड में तुम्हें कोई भी हरा नहीं सकेगा। तांत्रिक की बात मानकर सत्या कठोर तपस्या आरम्भ की। कई साल एसे ही बीत गए। ईधर नगीना की तपस्या पूरी होती है। परिणाम स्वरूप नगीना उस हत्यारा का चेहरा देखने में कामयाब होती है। नागराज और नागरानी को मारने वाला और कोई नहीं प्रताप का भाई रुद्रा था। नगीना अपने बदला लेने के लिए दुबारा इन्सान लोक में आती है पर वह ईस्बार अकेली नहीं थी। उसके साथ विशाल नागलोक की शक्तिशाली सेना तथा नागगुरु भी थे क्योंकि उसके दुश्मन कम शक्तिशाली नहीं थे। तांत्रिक और रुद्रा काली शक्तियों के स्वामी थे। नगीना तांत्रिक के मठ में पहुंचती है और बोलती है कातिलो तुम लोग कहां पर छुपे हो, सामने आओ। तुमने मेरे माता पिता की हत्या की है, तुमलोगो को मार कर अपने माता पिता की आत्मा की शांति दूंगी। तभी तांत्रिक और रुद्रा वहा पर प्रकट होते हैं। तांत्रिक कहता है आज तुम नहीं तुम्हारी मौत यहां पर तुम सबको खींच कर लाई है। तांत्रिक और रुद्रा अपने काली सक्तियो से नगिना तथा उनके सैनिकों पर बार करते है। पलटवार में नगीना और नागगुरु भी बार करते हैं। उन दोनों के बीच काफी देर तक जंग हुआ। तांत्रिक और रुद्रा नगीना तथा नागगुरु के पास ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और पराजित हो गए। नगीना जैसे ही उन्हें मारने के लिए वार किया तभी एक अलौकिक शक्ति ने उसे पीछे धकेल दिया। नगीना दोबारा कोशिश की पर इसबार भी पराजित हुई। अंत में नगीना और नाग गुरु दोनों ने ही अपनी शक्तियों को मिलाकर उस अनजान शक्ति पर बार कि परंतु उस शक्ति का कुछ भी नहीं हुआ। नगीना अंत में उससे कहती है तुम कौन हो ? उस शक्ति ने जवाब दिया मुझे नहीं पहचाना। तुमने मेरा प्यार देखा था अब तुम मेरी नफरत देखूंगी। नगीना को यह आवाज जानी पहचानी लगी। नगीना ने दोबारा पूछा कौन हो तुम ? वह अनजान शक्ति जोरो से हंसने लगा। उस अनजान शक्ति ने अपना असली रूप धारण करता है। वन अंजान शक्ति और कोई नहीं सत्या था। कठोर तपस्या के कारण बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली बन गया था। उसे हरा पाना न नगीना के बस का था ना नागगुरु का। नगीना कहती है सत्या तुम। तुमसे मेरी कोई दुश्मनी नहीं है। तुम मेरे रास्ते से हट जाओ। नगीना मुझ से तुम्हारी कोई दुश्मनी नहीं लेकिन मुझे तुमसे है। तुमने मेरे पिता को मारा था आज मैं इसका बदला लूंगा। तभी नाग सैनिकों ने सत्या पर बार करना चाहा तभी सत्या ने अपनी एक ही बार से सारे नाग सैनिकों को खत्म कर दिया और उसके दूसरी बार से नागगुरु दुर जा गिरे। सत्या ने कहा मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया था लेकिन तुमने अपने बदले की भावना में यह भी नहीं सोचा कि तुम्हारे दुश्मन कौन है और तुम्हारे मित्र कोंन। सत्या अपनी शक्तियों से उस दृश्य को प्रकट करता है जब नागराज ने नागमणि को उसके पिता को सोपा था और उसे कहा था कि इसे उसके असली हकदार को दे देना। नगीना को अपनी गलती का एहसास होता है। सत्या से माफी मांगते हुए नगीना कहती है मुझे माफ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। तब सत्या कहता है की क्या तुम्हारे माफी मांगने से मेरे पिता वापस आ सकते हैं ?
तभी वहां पर नागराजा, नागरानी और प्रताप की आत्मा प्रकट होते है। प्रताप की आत्मा ने सत्या से कहा कि पुत्र मैं अपनी मौत का जीमेदार नगीना को नहीं मानता। मेरा मौत बिधाता ने नगीना के हाथों से ही लिखी थी। नगीना से जो गलती हुआ था परंतु वह अनजाने में हुआ था। नगीना को यह बात पता नहीं थी कि मैं उसके माता-पिता का कातिल नहीं हूं। यह सब घटना का जिम्मेवार ओर कोई नहीं यह दुस्ट तांत्रिक और रुद्रा है ।जिन्होंने नागमणि की शक्तियों को पाने के लालच में नागराज नागरानी की बेरहमी से हत्या की और अब तुम्हे इस्तेमाल कर रहे हैं, नगीना को मारने के लिए। तभी अचानक पीछे से रुद्रा और तांत्रिक अपने काली शक्तियों से नगीना पर वार करते हैं। परंतु सत्या की शक्ति के प्रभाव के कारण उनकी काली शक्तिया निष्फल हो जाती है। नगीना अपनी नागिन रूप धारण कर रुद्रा को डस रेती है और सत्या अपनी शक्तियों से तांत्रिक को जलाकर भस्म कर देता है।
अंत में नगीना सत्या की ओर कुछ देर तक देखती है इस आशा में कि सत्या उसे दुबारा अपना लेगा। पर सत्या ने कोई जवाब नहीं दिया। नगीना की आंखों में आंसू था क्योंकि नगीना भी अब सत्या से प्यार करने लगी थी। नगीना जैसे ही उस स्थान से जाने लगती है तब ही सत्या बोलता है क्या मुझे तुम दोबारा छोड़ कर चली जाओगी ?
सत्या के मुंह से यह आवाज सुनकर नगीना को एसा लगा मानो उसका जीवन फिर से उसे वापस बुला रहा है। नगीना सत्या की तरफ दौड़ गई और उसे गले लगा ली।
क्यों नहीं लेखक भी इस बात को मानते हैं कि उसके मन जो यह एहसास उठा रहा था, वह उसके सच्चे प्रेम की निशानी थी।
लेखक ने अपने लेखन के माध्यम से नगीना कि उस एहसास को वर्णन करने में असमर्थ रहे। लेखक यह भी स्वीकार करते हैं कि वह उन भावना को वर्णन करने में असमर्थ है, जब दो प्रेमी एक दूसरे से बिछड़ते हैं और दुबारा मिल जाते है। लेखक को विश्वास हैं कि शायद इस पृथ्वी पर एसा कोई होगा जो उस दर्द या उस प्रशतां की भावना को उन्हें महसूस करवा सके, उन्हें समझा सके उसकी गहराई को। लेखक इसी आशा में अपना जीवन बिता रहे हैं कि शायद कोई एसा इंसान उन्हें मिल जाए।
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